जागे अंतरबोध एक गूढ़ और प्रेरणादायी विपश्यना पीडीएफ पुस्तक है, जो आत्म-प्रबोधन और ध्यान की गहराइयों को छूने वाली हिन्दी में लिखी गई अनुपम कृति है। यह पुस्तक विपश्यना साधना के माध्यम से भीतर जागते हुए बोध (अंतरबोध) की यात्रा को दर्शाती है, जहाँ साधक स्वयं को समझने, देखने और रूपांतरित करने की दिशा में बढ़ता है। इसमें आचार्य श्री स.न. गोenka जी की शिक्षाओं, ध्यान के वैज्ञानिक दृष्टिकोण, तथा साधकों के जीवन में आए सकारात्मक बदलावों का सहज वर्णन है।